School

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School 
द्यालय ईट और गारे की बनी हुई इमारत नहीं है, जिसमें विभिन्न प्रकार के छात्र और शिक्षक होते हैं। विद्यालय बाजार नही है,जहा विभिन्न योग्यताओं वाले अनिच्छुक व्यक्तियों का ज्ञान प्रदान किया जाता है। विद्यालय रेल प्लेटफार्म नही है, जहां विभिन्न उदेश्यों से विभिन्न व्यक्तियों की भीड़ जमा होती है।विद्यालय आध्यात्मिक संगठन है,जिसका अपना स्वयं का विशिष्ट व्यक्तित्व है। विदयालय गतिशील सामुदायिक केंद्र है,जो चारो ओर शक्ति का संचार करता है। विद्यालय आश्चर्य जनक भवन है जिसका आधार सद्भावना है। माता – पिता का सद्भावना। सारांश में, एक सुसंचालित विद्यालय एक सुखी परिवार, एक पवित्र मंदिर,एक सामाजिक केंद्र लघुरूप में राज्य और मन मोहन वृदावन हैं जिसमे सब बातो का मिश्रण होता है।             लेखक–उमा प्रसाद

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