मिर्जापुर का जन्म

 



पर्यटन की दृष्टि से मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश का काफी महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। मिर्ज़ापुर में स्थित विंध्याचल धाम भारत के प्रमुख हिन्दू धार्मिक स्थलों में से एक है। इसके अतिरिक्त सीताकुण्ड, लाल भैरव मंदिर, मोती तालाब, टांडा जलप्रपात, विल्डमफ़ाल झरना, तारकेश्‍वर महादेव, महा त्रिकोण, शिवपुर, चुनार किला, गुरूद्वारा गुरू दा बाघ और रामेश्‍वर, देवरहा बाबा आश्रम, अड़गड़ानंद आश्रम व अन्य छोटे बड़े जल प्रपातों आदि के लिए प्रसिद्ध है। मिर्ज़ापुर भदोही, वाराणसी, सोनभद्र, इलाहाबाद से घिरा हुआ है। भारत का अंतराष्ट्रीय मानक समय मिर्ज़ापुर जिले के अमरावती चौराहा स्थान से लिया गया है। मिर्ज़ापुर ग़ुलाबी पत्थरों (पिंकस्टोन) के लिये बहुत विख्यात है, प्राचीन समय में इस पत्थर का प्रयोग मौर्य वंश के राजा सम्राट् अशोक के द्वारा बौद्ध स्तुप एवं अशोक स्तम्भ (वर्तमान में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह) को बनाने में किया गया था। मिर्ज़ापुर के लोगों की मूल भाषा मिर्ज़ापुरी है तथा हिन्दी एवं भोजपुरी भी चलन में है। मिर्ज़ापुर में एक मेडिकल कॉलेज संचालन में है तथा एक इंजीनियरिंग कॉलेज निर्माणाधीन है। यहां पर दो इंजीनियरिंग कॉलेज भी है|यहा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का दक्षिणी परिसर भी स्थित, जो बरकछा मे पहाडी के ऊपर हैं, जिसमे प्रमुख वेटनरी विद्यालय स्थित हैं, ज्याहा पशू की बहोत बडी हॉस्पिटल हैं, ओर ऐसी बहोत सी फॅकल्टीस हैं, जिसमे १००० से ज्यादा विद्यार्थी अध्यापन करते हैं।

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